Kahan Shuru Kahan Khatam (कहाँ शुरू कहाँ ख़त्म) (en Hindi)

Dwarika Prasad Agrawal · Diamond Pocket Books

Ver Precio
Envío a todo Argentina

Reseña del libro

'कहां शुरू कहां खत्म' एक साधरण से आदमी के असाधरण जीवन की ऐसी रोमांचक कथा है जिसमें पढ़नेवाले को स्वाभिमान की ठसक और विवशता की कसक गलबहियां डाले टहलकदमी करती एक साथ दिखाई देगी। दुमदार लोगों की भीड़ से अलग यह एक ऐसे दमदार आदमी की जिंदगी का सफरनामा है, हौसला जिसकी दौलत है और सपने जिसकी ताकत है और जो भले ही किसी तथाकथित बड़े समाज में पैदा न हुआ हो मगर एक बहुत बड़ा समाज उसके भीतर है, इस बात की खबर बार-बार देता है। संस्मरणों की उंगलियां थामे पाठक जब अनुभूतियों के अक्षांशों में पर्यटन कर रहा होता है तो स्मृतियों के नीले सागर में तैरते ऐ विविध्वर्णी द्धीप से अनायास ही उसकी मुलाकात हो जाती है। यह द्धीप है बिलासपुर। सामाजिक सरोकारों और सद्भाव के गहरे संस्कारों से लैस एक छत्तीसगढ़ी शहर- बिलासपुर। जहां के 'पेंड्रावाला' दुकान पर बैठा आत्मकथा का नायक द्वारिका प्रसाद वल्द राम प्रसाद जिंदगी के तराजू में अपने हिस्से में आए खट्टे-मीठे अनुभवों को बड़े ही वीतरागी अंदाज में तौलकर समय के सुपुर्द कर देता है। (इस पुस्तक के समीक्षक पंडित सुरेश नीरव के 'कथन' के अंश)

Opiniones del Libro

Opiniones sobre Buscalibre

Ver más opiniones de clientes